कस्बे का अर्थ लिखिए। कस्बे की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए। विशेषताओ का उल्लेख कीजिये
प्रश्न 1-कस्बे का अर्थ लिखिए। कस्बे की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए। क्या 'कस्बे' की अवधारणा स्पष्ट कस्ते हुए, इसकी आवश्यक विशेषताओ का उल्लेख कीजिये।
उत्तर-कस्बा, नगर एवं नगरीकरण तीन परस्पर सम्बन्धित अवधारणाएँ हैं। कस्बा गाँव एव नगर के बीच की श्रेणी है। कईं चार कस्बे को 'उप-नगर' भी कहा जाता है। नगरीकरण किसी 'मी देश की कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्यब्ब की वृद्धि से संम्बन्धित प्रक्रिया है। इन . तीनो अवधारणाओं में नगरीकरण का अर्थ तो स्पष्ट है परन्तु 'कस्बा' एबं 'नगर' शब्द का प्रयोग भिन्न-भिन्न रूपों मेँ किया जाता है।
कस्बे की अवधारणा
जनसंख्या के _आकार की दृष्टि से जब बड़े गाँवों के लोगों क्री प्रवृत्तियाँ नगरीकृत हो जाती हैं तो उन्हें गॉव न कहकर 'कस्बा' कहा जाता है। इस प्रकार, कस्बा मानवीय स्थापना का वह स्वरूप है जो अपने जीवनक्रम एवं क्रियाओं में ग्रामीणता और नगरीयता दोनों प्रकार के तत्वों को अन्तर्निहित करता है। बर्गल (13१1-दृ६1) के शब्दों में, "कस्बा एक ऐसी नगरीय बस्ती के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो पर्याप्त आयामों के ग्रामीण क्षेत्र पर आधिपत्य रखता है।" किसी पिछडे ए अथवा ग्रामीण क्षेत्र में रहर्ने वाले लोगों का जब किसी नगर के साथ सम्पर्क स्थापित होता तो उसमें घीरे-धीरे नगरीय लक्षण आने प्रारम्भ हो जाते हैं। इसी से गाँव का रूप एक कस्बे के रूप में बदल जाता है। परन्तु यह बात ध्यान देने योग्य है कि कस्बे को केवल बडे गाँव के रूप में ही परिभाषित नहीं किया जा सकता है क्योंकि गॉव और कस्बे में ' काफी अन्तर होता हैं। गाँव की तुलना में कस्बा बहुउद्देस्वीय होता है। कस्तों में बैंक, बीमा कम्पनियों के दफ्तर, आवागमन के साधन और स्बास्थ्य सुविधाएँ गाँव क्री तुलना में अधिक होती हैँ। कस्बा प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों क्रो भी सम्पादित करता है।
किसी पिछडे या ग्रामीण क्षेत्र पर जब मानवीय जनसंरद्रया स्थायी रूप से निवास करने लगती है और उस जनमंख्या का उद्देश्य धर्म, कला, साहित्य, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा आदि होता है, तो उसे हम 'कस्बा' कहने हैं। मेयर एबं कोहन ने कस्बे को मानवीय प्रक्रियो का परिणाम माना है क्योकि इसका बिकास गॉव की स्रम्पन्नता एवं उसमें नगरीय लक्षणों के आ जाने से होता है। यह बात ध्यान देने योग्य हें कि कस्बा बडा गॉव नहीं ही कस्बा अपनी सम्पूर्ण जनसंख्या की आवश्यकताओं क्रो पूर्ति करने मेँ सक्षम होता है, जबकि गाँव (के लोग ) अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बाहरी जगत पर आश्रित होता है। कस्बे पर अनेक पडोसी गॉव अपनी आवश्यकताओं की मूर्ति हेतु आश्रित होते हैँट्यह इन गाँववासियों के लिए एक प्रकार से नगर का कार्य करता है।
कस्बे की विशेषताएँ
भारत मेँ कस्बे को परिभाषा विभिन्न जनगणना वषों में बदलती रही हैं। उदाहरणाथ-1901 हूँ० की जनगणना मे' कस्बा उस निवास क्षेत्र को कहा गया जिसमें निम्नलिखित चार विशेषताए थी"
(1) किसी भी आकार की नगरपालिका,
(2) सिविल लाइन का क्षेत्र जो नगरपालिका के अन्तर्गत न हो,
(3) प्रत्येक प्रकार का छावनी क्षेत्र तथा
(4) वह स्थायी निवास स्थान जहाँ कम-से-कम 5,000 की जनसंख्या हो।
1921 ईं० की जनगणना मेँ कस्बा उस नगरीय लक्षणों वाली बस्ती को कहा गया जहॉ 5,000 से अधिक लोग स्थायी रूप से निवास करते हौं। तत्पश्चात् 1961 ई० से लेकर 2011 ई० में होने चाली जनगणनाओँ में कस्बे की अधिक विस्तृत परिभाषा दी गई। अब कस्बे के निर्धारण में निम्नलिखित कसौटियों को अपनाया जाता है…
(अ) वे समी स्थान जहॉ नगरमहापालिका, कैंट बोर्ड अथवा अधिसूचित नगर क्षेत्र
समिति इत्यादि हैँ तथा
(ब) वे सभी स्थान जहां…
(1) कम से कम 5000 की आजादी है
(2) कार्यरत पुरुष जनसंख्या का तीन…चौथाई भाग गैर-कृषि व्यवसाय मैं लगा हुआ है;
(3) प्रति वममील 400 व्यक्तियो का घनत्व है ।